शिमला के कनलोग में फिर दिखा तेंदूआ, दहशत के साय में लोग

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शिमला। शिमला के कनलोग में कुछ दिन पहले तेंदूए ने एक बच्ची को अपना शिकार बनाया था, जिसके बाद वन विभाग ने कनलोग में एक तेंदूए को पकडऩे के लिए पिंजरे लगाए थे मगर तेंदूआ अभी तक नहीं पकड़ा गया है। तेंदूए के न पकड़े जाने के बाद स्थानीय लोगों में दहशत पैदा हो गई है कि हम बंदरों से बचे, लंगूरों से बचे या आवारा कुत्तों से बच्चे। यह समझ नहीं आ रहा है कि वन विभाग कब तक तेंदूए को पकड़ेगा। वहीं बच्ची के पीडि़त माता पिता को भी सरकार की ओर से अभी तक उचित मुआवजा तक नहीं दिया गया है। कानून के मुताबिक जो मुआवजा मिलना चाहिए था वह अभी तक नहीं मिला है। स्थानीय  निवासी सुभाष वर्मा व जीवन ठाकुर ने कहा कि बीती रात भी एक बार फिर उसी जगह पर तेंदूए को कनलोग के जंगल में देखा गया है।

तेंदूए को दोबारा देखने के बार लोग फिर से दहशत में आ गए है। उन्होंने कहा कि वन विभाग सिर्फ खाना पूर्ति कर रही है। वन विभाग ने जो पिंजरा लगाया है उसमें मरा हुआ मुर्गा का रखा गया है, लेकिन सभी लोगों को पता है कि तेंदूआ कभी भी मरे हुए जानवर को नहीं खाता है। पिंजरे में रखे मुर्गे को खाने के लिए कैसे आएगा। उन्होंने कहा है कि वन विभाग जवाब दे कि आज तक पिंजरे में कितने तेंदूए को पकड़ा गया है। जबकि हकीकत यह है कि वन विभाग के पिंजरे में आज तक कोई भी तेंदूआ नहीं फसा है।

इसके अलावा स्थानीय लोगों ने वन विभाग, प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन व नगर निगम से मांग की है कि कनलोग के जंगलों में स्ट्रील लाइटो को जल्द से जल्द दरूस्त किया जाए। क्योंकि अधिकतर लोग देर रात को अपने काम काज से घर वापिस आते है। ऐसे में यदि स्ट्रीट लाइटे खाराब हो तो लोगों को अपने घर तक पहुंचने में काफी दिक्कते होगी। वन विभाग व सरकार द्वारा जल्द से जल्द सोलर फैंसिग करवाई जाए। उन्होंने कहा कि सरकार व वन विभाग की नाकामियों की वजह से बच्ची को तेंदूआ उठा कर ले गया है। सुभाष ने कहा कि तीन वर्ष पहले भी  कनलोग में कई घरों के बाहर से पालतु कुत्तो पर हमले किए थे, तब भी वन विभाग से आग्रह किया गया था कि रिहायशी इलाके में लगते सारे जंगलों की फेंसिंग की जाए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। इसके अलावा बिजली विभाग स्ट्रीट लाइटों को दुरूस्त करे। क्योंकि तेंदूआ हर बार ऐसी वारदातों को अंधेरे में ही अंजाम देता है।

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