दो अध्यापकों के सहारे राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला स्यांजबागड़ा, चौपट हो रहा छात्रों का भविष्य

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करसोग। प्रदेश में भले ही शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने के दावे किए जा रहे हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यापकों की कमी से छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है। करसोग उपमंडल में ऐसी ही एक राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला स्यांजबगड़ा है। जो दो अध्यापकों के सहारे चल रही है। चिंता की बात ये है कि दोनों अध्यापकों को साथ में महावन और भमाला स्कूल भी देखने पड़ रहे है। ऐसे में स्कूल में स्टाफ की कमी के कारण लोगों में भारी नाराजगी है। इसको लेकर सोमवार को स्थानीय लोगों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री सहित राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें जल्द से जल्द और अध्यापक भेजे जाने की मांग की गई है। लोगों का कहना है कि राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला स्यांज बगड़ा में पिछले 4 सालों से सीएचटी व जेबीटी का पद खाली है। जिस कारण यहां करीब 100 बच्चों का भविष्य अंधेरे में हैं। यही नहीं स्यांजबगड़ा के तहत आने वाले भमाला व महावन स्कूल में भी एक साल से कोई नियमित शिक्षक नहीं है। जिस कारण ग्राम पंचायत बालीधार व खादरा के बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है। लोगों ने मांग की है की राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला स्यांज बगड़ा में जल्द ही सीएचटी व जेबीटी का पद भरा जाए और भमाला व महावन पाठशाला में भी नियमित तौर पर अध्यापकों की तैनाती की जाए। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द मांग को पूरा नहीं किया गया तो वे बच्चों को लेकर सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

कमलेशा कुमारी का कहना है कि राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला स्यांज बागड़ा में केवल दो ही अध्यापक हैं। उनको दो स्कूल महावन और भमाला साथ में देखने पड़ रहे हैं। ऐसे में एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने कहा कि अब भी अगर अध्यापकों के पदों को नहीं भरा गया तो हम सड़कों में उतरेंगे।

बालीधार से पंचायत समिति सदस्य सुमित्रा ठाकुर का कहना है कि एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला में अध्यापकों के खाली पदों को भरने की मांग की गई है।

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