करसोग में बनेगा फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, गांव गांव जाकर खरीदे जाएंगे प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद

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करसोग में बनेगा फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, गांव गांव जाकर खरीदे जाएंगे प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद

पहले चरण में प्रदेश भर के पांच जिलों में बनेंगे फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन, जिसमें मुख्यमंत्री का गृह जिला भी शामिल

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करसोग। करसोग में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती से जुड़े हज़ारों किसानों के लिए राहत भरी खबर है। यहां प्राकृतिक तरीके से खेती कर हजारों किसानों को उत्पाद के अच्छे दाम मिलेंगे। इसके लिए हिमाचल में प्राकृतिक खेतीं को बढ़ावा देने के लिए जिला मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन व बिलासपुर में पांच किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनेंगे। जिसमें एक एफपीओ मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी के करसोग में भी बनने जा रहा है। इसमें उपमंडल की 62 पंचायतों में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफ़पीओ) से जोड़ा जाएगा। जो सीधे गांव गांव में जाकर किसानों से प्राकृतिक तरीके से तैयार किए गए उत्पादों को खरीदेंगे और फिर इन उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाया जाएगा। इससे अब आढ़तियों के साथ जुड़ा चैन सिस्टम भी टुटेगा। जिसका व्यापक स्तर पर प्रचार और प्रसार भी किया जाएगा। ताकि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं को घरद्वार पर प्राकृतिक उत्पाद बाजार से सस्ते दाम पर उपलब्ध हो सके । इससे किसानों को भी अच्छे दाम मिल सकेंगे। यही नहीं इससे प्राकृतिक उत्पादों के रासायनिक खेती से तैयार किए उत्पादों के साथ मिक्स होने की आशंका भी समाप्त होगी।

अभी ये हो रहा है नुकसान
प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद को बेचने के लिए अलग से मंडियों की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में करसोग में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती से जुड़े 2 हजार से अधिक किसानों को अपने उत्पाद रासायनिक खेती से तैयार उत्पादों के साथ मंडियों में बेचने पड़ रहे हैं। जिससे किसानों को प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पादों के अच्छे भाव नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में सरकार के फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनाने के निर्णय से प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों को उम्मीद की किरण नजर आई है।

राज्य परियोजना क्रियान्वयन इकाई के फैलो अपर्णा सुनील का कहना है कि बहुत जल्द करसोग में फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) बनने जा रहा है। जिससे प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को अपने उत्पाद बेचने में परेशानी नहीं होगी। इससे किसानों को उत्पादों के भी अच्छे दाम मिलेंगे।

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