नई पंचायत बनने के बाद भी लोगों को पुराने कार्यालय आने के लिए तय करना पड़ रहा आठ से दस किलोमीटर का पैदल सफर
करसोग। करसोग उपमंडल के तहत अति दुर्गम क्षेत्र शलाग में नई पंचायत बनाने का ग्रामीणों को कोई भी लाभ नहीं हुआ है। लोगों की मांग को देखते हुए सरकार ने अति दुर्गम क्षेत्र शलाग में करीब एक साल पहले नई पंचायत तो बना दी , लेकिन नव गठित पंचायत में कार्यालय शिफ्ट न होने से लोगों को इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है। अभी भी शलाग और साथ लगते क्षेत्रों के लोगों को अपना कार्य करवाने या फिर ग्राम सभा की बैठक के लिए 8 से 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके बगशाड में स्थित पुराने पंचायत कार्यालय पहुंचना पड़ रहा है। हालांकि लोगों की परेशानी को देखते हुए स्थानीय निवासी ने अपने निजी मकान में कार्यालय चलाने करने की इच्छा जताई है। जिसके लिए पंचायत पदाधिकारियों ने शपथ पत्र लगाकर बीडीओ कार्यालय से अनुमति मांगी है, लेकिन इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। इसका बड़ा उदाहरण रविवार को आयोजित हुई ग्राम सभा की बैठक में देखने को मिला। नव गठित पंचायत शलाग की ग्राम सभा की बैठक पुराने कार्यालय बगशाड में आयोजित की गई, जिसमें लोगों की उपस्थिति 0/139 रहने की वजह से ग्राम सभा की बैठक को स्थगित करना पड़ा। पंचायत सचिव सुबह से लेकर दोपहर बाद 2 बजे तक अकेले कार्यालय में बैठकर लोगों का इंतजार करता रहा, लेकिन लोगों की हिस्सेदारी न होने के कारण आखिर में 2 बजे ग्राम सभा की बैठक को स्थगित करना पड़ा। हालांकि बीडीओ कार्यालय करसोग और नए खुले विकासखंड चुराग के तहत 13 अन्य पंचायतों में भी ग्राम सभा की बैठक आयोजित की गई, लेकिन कहीं पर भी कोरम पूरा नहीं हुआ है। बता दें कि इन दोनों ही विकासखंडों के तहत चौरीधार, दछैण, गवालपुर, काहणो, कलाशन, कांडा, कांडी सपनोट, भंडारनु, महोग, साहज, कुठेहड़, लोअर करसोग, कुफरीधार व शलाग पंचायत में ग्राम सभा की बैठक रखी गई थी।
बीडीओ सतेंद्र ठाकुर का कहना है कि शलाग में ऐसा कोई सरकारी भवन नहीं है, जहां पंचायत कार्यालय को शिफ्ट किया जा सके। ग्रामीणों ने निजी भवन में कार्यालय चलाने का आग्रह किया है। लोगों मांग को जिला पंचायत अधिकारी को भेजा गया है। इस बारे में जो भी आदेश प्राप्त होता हैं। उसके मुताबिक आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।