करसोग। करसोग के स्कूलों में मिड डे मिल के तहत नौनिहालों की खिचड़ी पकाने वाले खुद ही सरकारी व्यवस्था का निवाला बन गए हैं। यहां शुक्रवार को मिड डे मील वर्करों ने करसोग पहुंच कर एसडीएम को अपना दुखड़ा सुनाया। इस दौरान मिड डे मील वर्करों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें करसोग के सरकारी स्कूलों में खिचड़ी पकाने वाले करीब 250 मिड डे मील वर्करों ने सरकारी कर्मचारी दर्जा देने की मांग की। ताकि मिड डे मील वर्करों का भविष्य सुरक्षित हो सके। अभी मिड डे मील वर्करों को सरकार अपना कर्मचारी नहीं मानती हैं। उन्हें स्कूल में खिचड़ी पकाने के बदले में 3500 मासिक मानदेय दिया जा रहा है। जिससे मंहगाई के इस दौर में मिड डे मील वर्करों को घर परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा है। मिड डे मील वर्करों का कहना है कि ये मानदेय भी साल में 10 महीनों का ही दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त स्कूलों में मासिक अवकाश होने पर मिड डे मील वर्करों पंचायतों में मनरेगा के तहत भी रोजगार उपलब्ध नहीं करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में न होने पर भी मिड डे मील वर्करों को बीपीएल , बेरोजगार प्रमाण पत्र व लो इनकम सर्टिफिकेट से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है। जिसके कारण मिड डे मील वर्कर शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में भरे जा रहे पार्ट टाइम मल्टी टास्क वर्कर के लिए भी आवेदन नहीं कर पाए हैं। मिड डे मील वर्करों ने सरकार से मांग पर उचित निर्णय लिए जाने का आग्रह किया है। ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। मिड डे मील वर्कर संघ की प्रधान कमला ने कहा कि मिड डे मील वर्करों को भी सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। या फिर उन्हे अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए। ताकि प्रदेश भर में हजारों मिड डे मील वर्करों का भविष्य सुरक्षित हो सके। इस मांग को लेकर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया है।