करसोग। पिछले कई सालों से पंचायतीराज विभाग में विलय को लेकर संघर्ष कर रहे जिला परिषद कर्मचारी कलम छोड़ो आंदोलन पर बैठ गए हैं। यहां जिला मंडी के तहत करसोग व चुराग विकासखंडों में जिला परिषद कैडर के तहत कुल 54 कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। इसमें पंचायत सचिव, कनिष्ठ अभियंता सहित मनरेगा मद से वेतन प्राप्त कर रहे सभी कर्मचारियों ने सोमवार से अपना कार्य करना छोड़ दिया है। ऐसे में इन कर्मचारियों के आंदोलन पर चले जाने से पंचायतों में होने वाले जरूरी कार्यों समेत मनरेगा के कार्य लटक गए हैं। जिससे अब दोनों विकासखंडों के तहत पड़ने वाली 62 पंचायतों में ग्रामीणों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। वहीं पंचायतों में काम लटकता देखकर कई प्रधान अब कर्मचारियों के समर्थन में उतर गए हैं। इन प्रधानों ने प्रदेश सरकार से जल्द कर्मचारियों की मांग को पूरा करने का आग्रह किया है। ताकि पंचायतों में सुचारू रूप से काम चल सके और ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार मिलता रहे। जिला परिषद काडर के कर्मचारियों ने पंचायतीराज विभाग में विलय को लेकर 20 जून को बीडीओ के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी सौंपा था। जिसमें सरकार को 24 जून तक मांग पूरी करने का अल्टीमेटम दिया गया था। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार तय समय में उनकी मांग को जरूर पूरा करेगी, लेकिन निर्धारित अवधि बीतने के बाद भी कर्मचारियों की मांग पर कोई भी उचित निर्णय लिया गया है। ऐसे में दोनों विकासखंडों में जिला परिषद काडर के सभी कर्मचारी अब कलम छोड़ो आंदोलन पर बैठ गए हैं। करसोग विकास खण्ड जिला परिषद कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नरेश कुमार का कहना है कि जिला परिषद काडर के सभी कर्मचारी कलम छोड़ो आंदोलन पर बैठ गए हैं। कर्मचारी लंबे समय से जिला परिषद काडर का पंचायतीराज विभाग में विलय करने की मांग कर रहे हैं। जिसे आज तक पूरा नही किया गया है। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द जिला परिषद काडर को पंचायतीराज विभाग में विलय करने का आग्रह किया है। ताकि अन्य विभागों के कर्मचारियों की तरह उन्हें भी सरकार की तरफ से समय समय पर दिए जाने वाले वित्तीय लाभों का फायदा मिल सके।