करसोग। ग्राम पंचायत बलिंडी के तहत आने वाले अल्याड़ गांव में दो दिवसीय सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण शिविर संम्पन हुआ । कृषि विभाग के सौजन्य से कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण के तहत विकास खंड चुराग की ओर से इस शिविर का आयोजन किया गया। दो दिवसीय शिविर में सहायक तकनीकी प्रबंधक सौरभ और मास्टर ट्रेनर भीम सिंह ने किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे प्रायोगिक तौर पर विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर किसानों को देसी गाय के गोबर और गौमूत्र के महत्व को समझाया तथा उनसे बनने वाली खाद एवं कीटनाशक जैसे जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क और द्रेक-कड़वा अस्त्र आदि के बारे में जानकारी दी गई।
देसी गाय जीरो बजट प्राकृतिक खेती का मुख्य आधार
सहायक तकनीकी प्रबंधक सौरभ ने बताया कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती का मुख्य आधार देशी गाय है। प्राकृतिक खेती कृषि प्राचीन पद्धति है। यह भूमि को प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती में उर्वरक एवं कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में पोषक तत्व एवं कीटनाशक के रूप में काम में लिया जाता है।
उन्होंने बताया कि गोबर के साथ गोमूत्र एवं दाल वाली फसलों का आटाबेसन मिलाकर यदि उसका प्रयोग फसल उत्पादन में किया जाए तो उसके चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं।
जीवामृत, घनजीवामृत डालने से बढ़ती है भूमि की उपजाऊ क्षमता
मास्टर ट्रेनर भीम सिंह ने किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि खेतों में जीवामृत, घनजीवामृत डालने से भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है। प्राकृतिक खेती करने के लिए पहाड़ी गाय का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रयोग किए जा रहे कीटनाशक न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे भूमि की उर्वरकता भी क्षीण हो रही है। उन्होंने किसानों से जीरो बजट सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह किया।
किसानों ने भी अपने अनुभव किए साझा
वहीं सेरकड़ी,अलसिंडी, दडेली और अल्याड़ गांव से आए किसानों ने भी प्राकृतिक खेती के अपने अनुभव अन्य किसानों और बागवानों से साझा किए। साथ ही लोगों को प्राकृतिक खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित भी किया।
इस मौके पर महिला मंडल अल्याड़ की प्रधान शांता देवी,प्रेमी देवी,बिमला देवी,दासी देवी, किरण लता, कांति,बिनती देवी, निशा देवी, मटू देवी,मीना,ममता देवी, रामकला,तारावती,साहबु देवी, उर्मिला,बबली देवी, लता देवी,चंद्रकांता,निर्मला, सेमी देवी, कृतिका, अंजू,लता,भीम सिंह,हरिसरण,रूपलाल,हिमांशु, रघु राम, राकेश कुमार सहित अन्य गांववासियों ने शिविर में भाग लिया।