हिमाचल प्रदेश में गिरते सेब के दाम,,,आंदोलन की राह पर बागवान

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सेब के दामों में अचानक आई भारी गिरावट से 5 हज़ार करोड़ सेब की आर्थिकी संकट के बादल मंडराने लगे है। जो सेब दो सप्ताह पहले तक 3000 रुपये से भी ऊपर बिक रहा था। अब 1200 से 1800 प्रति पेटी के हिसाब से बिक रहा है। जबकि कम गुणवत्ता वाला सेब 500 से 800 रुपये प्रति पेटी बिक रहा है। बीते 15 दिन के भीतर सेब के दाम 1000 से 1200 रुपये प्रति पेटी तक गिर चुके हैं। इस साल प्रदेश में करीब साढ़े चार करोड़ पेटी सेब उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। जिसमें से अभी करीब 3 करोड़ पेटी सेब ही मंडियों में जाना बाकी है। हिमाचल में सेब की गिरे दामों पर सियासत भी गरमाने लगी है।

मंडियों में रेट गिरने पर बागवान निजी कंपनियों से अच्छे रेट की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन सेब खरीद करने वाली अडानी की कंपनी ने इस साल 10 साल पुराने रेट खोले हैं। 2011 में अडानी ने 65 रुपये प्रति किलो रेट पर सेब खरीद की थी। इस साल कंपनी 72, 62 व 15 रुपए प्रति किलो के हिसाब से सेब खरीद कर रही है। जबकि पिछली बार अधिकतम दाम 86 रुपए प्रति किलो था। सेब बागवान सेब के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग उठा रहे हैं। बागवानों का कहना है कि सरकार ने निजी कंपनियों को करोड़ों रुपये अनुदान दिया है। इसके बावजूद कंपनियां उनका शोषण करने पर उतारू हैं।

उधर सेब मंडी के आढ़तियों का कहना है कि इस बार बेमौसमी बरसात व ओलावृष्टि ने सेब की गुणवत्ता में असर डाला है। अच्छे क़िस्म की सेब के बेहतर दाम मिल रहे है। सेब के दाम गिरने का दूसरा कारण देश की मंडियों में मांग का कम होना भी है। क्योंकि कोरोना ने सेब की आर्थिक पर भी असर डाला है। होटलों व शिक्षण संस्थानों में भी सेब की मांग कम है। इसलिए भी सेब के दाम गिरे हैं।
सेब के गिरते दामों से चिंतित मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बागवानों से मंडियों और मार्केट में सेब की फसल को अभी कम भेजने को कहा है। मुख्यमंत्री ने बागवानों से अनुरोध किया है कि वे फ़िलहाल सेब की फसल को रोक लें जब रेट बढ़े तभी मार्किट में लाएं। भंडारण क्षमता वालों से भी आग्रह किया जाएगा कि वे ठीक दाम पर सेब खरीदें, जिससे बागवानों को नुकसान न हो। मुख्यमंत्री ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य तय से ज्यादा बढ़ाने की मांग आ रही है। उस पर विचार तो कर रहे हैं, लेकिन उसमेें गुंजाइश कम है। इसका कारण यह है कि प्रदेश की आर्थिकी ज्यादा अच्छी नहीं है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद को बागवान कहते हैं लेकिन बागवानों पर आए संकट को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं और बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह भी चुप बैठे हैं जबकि इस वक्त उनको किसानों बागवान से बातचीत करनी चाहिए थी। कांग्रेस ने बागवानी मंत्री के इस्तीफे की भी मांग की है और घटती कीमतों को लेकर मुख्यमंत्री के बयान पर हैरानी जताई है और कहा है कि मुख्यमंत्री किसानों को फसल ना तोड़ने की सलाह दे रहे हैं जो किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है। मुख्यमंत्री इस तरह के बयान ना देकर बागवानों को राहत देने के लिए कदम उठाए।

सेब की इसी सियासत के बीच किसान नेता राकेश टिकैत  शिमला बागवानों को आन्दोलन की राह पर चलने का आहवान कर गए जिसका असर दिखने लगा है। बीते रोज किसान सयुंक्त मोर्चा ने कालीबाड़ी में एकत्रित होकर आंदोलन का खाका तैयार कर लिया है। अब बागवान आंदोलन की राह पर चलकर सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते है

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