राज्य को समावेशी और सतत हरित विकास के पथ पर आगे ले जाने में विश्व बैंक से मिल रहा महत्त्वपूर्ण सहयोगः जय राम ठाकुर

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शिमला। हिमाचल प्रदेश और विश्व बैंक के मध्य आपसी सहयोग पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है और आज यहां विश्व बैंक का 3,160 करोड़ रुपये का पोर्टफोलियो है। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां ओक ओवर में विश्व बैंक के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हार्तविग शाफर की अध्यक्षता में पहंुचे विश्व बैंक के एक दल से बातचीत के दौरान कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व बैंक और हिमाचल प्रदेश का विकासात्मक सहयोग का एक लम्बा इतिहास रहा है। विश्व बैंक द्वारा वर्षों पूर्व सितम्बर, 2012 में हिमाचल प्रदेश को 100 मिलियन यूएस डॉलर का पहला विकास नीति ऋण प्रदान किया गया था और वर्ष 2014 में इतनी ही राशि का दूसरा विकास नीति ऋण दिया गया। उन्होंने कहा कि इन ऋण का उद्देश्य राज्य को समावेशी और सतत हरित विकास के पथ पर आगे ले जाना था। इससे राज्य को वित्त, ऊर्जा, वाटरशेड प्रबन्धन, पर्यटन और उद्योग क्षेत्र में योजनागत सुधारों की शुरूआत करने में सहायता प्राप्त हुई।

 जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य में सड़क, जल आपूर्ति, बागवानी, वानिकी और वित्तीय प्रबन्धन क्षेत्रों में पांच विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में अपनी तरह की पहली ग्रीन हाउस गैसों की सूची (इन्वेंटरी) तैयार की गई जिससे राज्य को हरित और सतत विकास पर अपनी योजनाओं को केन्द्रित करने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में सम्पूर्ण सुधार के लिए 1500 करोड़ रुपये ऋण घटक का एक कार्यक्रम अभी प्रक्रियाधीन है और इस पर 30 जून, 2022 को समझौता अपेक्षित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हरित ऊर्जा से संचालित कार्बन न्यूट्रल अर्थव्यवस्था से बागवानी, पर्यटन, वानिकी, गतिशीलता, स्वास्थ्य, जल, स्वच्छता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अधिक से अधिक लाभ व बचत को उच्चतम स्तर तक ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र में शिमला और धर्मशाला स्मार्ट सिटी में रोपवे इत्यादि के माध्यम से यातायात क्षेत्र को और सुदृढ़ करते हुए समग्र प्रदूषण मैट्रिक्स निवेश सहायता विश्व बैंक से अपेक्षित है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य को ऊर्जा क्षेत्र में यानि सौर, भण्डारण समाधान, विशेष रूप से पम्प भण्डारण और जल विद्युत आदि में स्वच्छ और लचीले बुनियादी ढांचे के लिए निवेश, तकनीकी और ज्ञान समर्थन की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि 60 गीगावॉट की विशाल नवीकरणीय क्षमता और तकनीकी विकास की विरासत के साथ राज्य देश के ऊर्जा पारगमन लक्ष्यों को हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को सतत वन जलग्रहण क्षेत्र में निवेश, तकनीकी एवं ज्ञान सहायता, पारिस्थितिक सेवाओं पर भुगतान, जलवायु स्मार्ट कृषि और आजीविका सुरक्षा के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन की भी आवश्यकता होगी।

विश्व बैंक के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हार्तविग शाफर ने कहा कि विश्व बैंक प्रदेश सरकार के साथ सामरिक भागीदारी में जुड़ा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने विश्व बैंक पोषित शिमला जल आपूर्ति योजना के स्थल का भी दौरा किया। उन्होंने कहा कि कृषि एवं बागवानी राज्य की आर्थिकी का प्रमुख साधन है और विश्व बैंक राज्य को इस क्षेत्र में सहायता प्रदान करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की व्यापक नीति पर बल दिया जाना चाहिए, जिसमें सौर एवं जल विद्युत का मिश्रण हो सकता है।

मुख्य सचिव राम सुभग ने कहा कि प्रदेश में जल विद्युत की अपार संभावनाएं हैं, जो हरित ऊर्जा के समान है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सौर ऊर्जा पर विशेष बल दे रही है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त  प्रबोध सक्सेना ने कहा कि विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल प्रदेश देश के कई क्षेत्रों में अग्रणी राज्य बन कर उभरा है।

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुभासीष पन्डा तथा विश्व बैंक के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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