भारतीय उद्योग को वैश्विक विकास के प्रति प्रतिस्पर्धी और उत्तरदायी होना चाहिए: पीयूष गोयल

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नई दिल्ली।केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री  पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित इंडियाएज कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत की विनिर्माण प्रतिस्पर्धा के प्रमुख उत्प्रेरकों के रूप में नवाचार, गुणवत्ता, डिजाइन, स्थिरता और दक्षता के महत्व पर प्रकाश डाला।

गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार देश की आर्थिक प्रगति में सहयोग के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है। उन्होंने कृषि, सेवा और विनिर्माण क्षेत्र में हाल के विकास रुझानों का उल्लेख किया और बताया कि भारत का विनिर्माण उत्पादन इलेक्ट्रॉनिक्स, श्वेत वस्तुओं, रसायनों और पेट्रोकेमिकल्स जैसे नए क्षेत्रों में विविधता पूर्ण हो गया है।

मंत्री महोदय ने उद्योग जगत के लिए प्रतिस्पर्धी बने रहने और वैश्विक विकास के प्रति संवेदनशील बने रहने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हाल के व्यवधानों ने सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को रेखांकित किया है और विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों पर अत्यधिक निर्भरता के प्रति आगाह किया। उन्होंने उन क्षेत्रों की पहचान करने की आवश्यकता पर बल दिया जहाँ घरेलू क्षमता और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर अधिक नियंत्रण आवश्यक है।

गोयल ने कहा कि विनिर्माण उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्योग जगत के साथ सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है और उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि से सेवाओं के क्षेत्र में वृद्धि को और गति मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे भारत वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है, उसे घरेलू अर्थव्यवस्था में भी प्रतिस्पर्धी प्रथाओं के लिए खुला रहना होगा।

मंत्री  ने कहा कि उत्तर प्रदेश और ओडिशा सहित कई राज्यों ने हाल के वर्षों में तेज़ी से प्रगति की है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय अवसरों में वृद्धि हुई है और प्रवासन में कमी आई है। उन्होंने उद्योग जगत को प्रक्रियाओं को सरल बनाने, नियामक प्रणालियों में सुधार लाने और विनिर्माण वातावरण को मज़बूत बनाने के लिए सुझाव देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अनुपालन को आसान बनाने, अप्रचलित प्रावधानों को हटाने और चार श्रम संहिताओं को लागू करने सहित कानूनी ढाँचों के आधुनिकीकरण के लिए चल रहे सरकारी प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 23 राज्यों ने संबंधित नियम बनाए हैं और ये संहिताएँ नियम निष्ठा को बढ़ावा देंगी, न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करेंगी और सामाजिक सुरक्षा एवं कार्यस्थल सुरक्षा को मज़बूत करेंगी।

गोयल ने एमएसएमई को समय पर भुगतान के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि बकाया राशि का शीघ्र निपटान नकदी प्रवाह की बाधाओं को काफी हद तक कम करेगा और एमएसएमई की उत्पादकता और विकास को समर्थन देगा।

मंत्री  ने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर दीर्घकालिक राष्ट्रीय ध्यान पर भी ज़ोर दिया और घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को मज़बूत करने में इनकी प्रासंगिकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के विज़न को आगे बढ़ाने और विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उद्योग और सरकार के सामूहिक प्रयास आवश्यक होंगे।

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