सर्दियों में बढ़ता हार्ट अटैक का खतरा: जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

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शिमला। सर्दियों के मौसम में तापमान गिरने के साथ-साथ दिल की बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ठंड के कारण शरीर की रक्त धमनियाँ सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यह स्थिति हार्ट अटैक के जोखिम को कई गुना तक बढ़ा सकती है।

ठंड का दिल पर असर

ठंड में शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा, सर्दियों में तनाव और अवसाद की संभावना भी बढ़ जाती है, जो रक्तचाप और हार्मोनल असंतुलन को प्रभावित कर दिल की सेहत को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

हार्ट अटैक के आम लक्षण

चिकित्सकों के अनुसार हार्ट अटैक आने से पहले कुछ सामान्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे—

सीने में तेज दर्द या दबाव

बाएं हाथ, जबड़े या गर्दन में दर्द

सांस लेने में दिक्कत

ठंडा पसीना आना

अचानक थकान या कमजोरी महसूस होना

इनमें से कोई भी लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना जरूरी है।

सर्दियों में हार्ट अटैक से बचाव

विशेषज्ञों ने सर्दियों में दिल को स्वस्थ रखने के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय सुझाए हैं—

1. शरीर को गर्म रखें
सिर, कान, हाथ और पैरों को ढककर रखें। ठंडी हवा शरीर का तापमान तेजी से गिराती है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ सकता है।

2. सुबह की सैर का समय बदलें
सुबह 5 से 7 बजे के बीच तापमान सबसे कम होता है। इसलिए बेहद ठंड में सूरज निकलने के बाद ही टहलने की सलाह दी जाती है।

3. पर्याप्त पानी पिएँ
सर्दियों में प्यास कम लगती है, लेकिन पानी की कमी से खून गाढ़ा होने लगता है, जिससे ब्लॉकेज का खतरा बढ़ जाता है।

4. हेल्दी डाइट लें
दिल के मरीजों को नमक, तले भोजन, जंक फूड और अधिक चीनी से बचने की सलाह दी जाती है। फाइबर, हल्का भोजन और ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करना फायदेमंद होता है।

5. तनाव कम करें और अच्छी नींद लें
तनाव हार्ट अटैक का एक प्रमुख कारण है। योग और मेडिटेशन तनाव कम करने में प्रभावी हैं और दिल की सेहत में सुधार करते हैं।

सावधानी से बचाया जा सकता है दिल

विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में थोड़ी सी लापरवाही दिल की परेशानी को बढ़ा सकती है। ऐसे में जरूरी है कि लोग मौसम के अनुसार सावधानियाँ अपनाएँ और अपने हृदय की सेहत का पूरा ध्यान रखें ताकि स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें।

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