उप राष्ट्रपति ने भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और विकास यात्रा में ईसाई समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की

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नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति सीपीराधाकृष्णन ने नई दिल्ली में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआईद्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लिया और त्योहार से पहले ईसाई समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दीं।

 

उप राष्ट्रपति ने कहा कि क्रिसमस शांतिकरुणाविनम्रता और मानवता की सेवा जैसे सार्वभौमिक मूल्यों का उत्सव है। उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु मसीह द्वारा सिखाए गए प्रेमसद्भाव और नैतिक साहस का संदेश शाश्वत प्रासंगिकता रखता है और भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ हैजो सह अस्तित्वकरुणा और मानवीय गरिमा के सम्मान पर जोर देती हैं।

 

भारत में ईसाई धर्म की लंबी उपस्थिति को याद करते हुएउप राष्ट्रपति ने भारत की सामाजिकसांस्कृतिक और विकास यात्रा में ईसाई समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षास्वास्थ्य सेवासामाजिक सुधार और मानव विकास में समुदाय के निरंतर कार्यों की सराहना कीजो देश के सुदूरतम क्षेत्रों तक भी पहुंचे हैं और इसे राष्ट्र निर्माण का अभिन्न अंग बताया।

सी पी राधाकृष्णन ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए कहा कि झारखंडमहाराष्ट्र और अन्य राज्यों के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें कई ईसाई संगठनों के साथ घनिष्ठ संपर्क का अवसर मिला। उन्होंने सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कोयंबटूर के एक चर्च में हर साल क्रिसमस मनाने और वहां साझा की गई आपसी समझ की भावना को भी याद किया। उन्होंने तमिलनाडु से एक ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कॉन्स्टेंटाइन जोसेफ बेस्ची (वीरममुनिवरके योगदान को याद कियाजिन्होंने तमिल साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया और भारत में ईसाई परंपरा द्वारा पोषित गहन सांस्कृतिक एकीकरण को रेखांकित किया।

भारत की बहुलवादी भावना पर जोर देते हुए  सी पी राधाकृष्णन ने कहा कि भारत की एकताएकरूपता में नहींबल्कि आपसी सम्मान और साझा मूल्यों में निहित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी प्रकार के भय का माहौल बनाने की आवश्यकता नहीं हैक्योंकि देश में शांति और सद्भाव व्याप्त है। क्रिसमस की भावना और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त किए गए एक भारतश्रेष्ठ भारत‘ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के बीच समानता बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार क्रिसमस विभिन्न धर्मों के लोगों को खुशी में एक साथ लाता हैउसी प्रकार एक भारतश्रेष्ठ भारत‘ का विचार नागरिकों से भारत की विविधता का जश्न मनाते हुए एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होने का आह्वान करता है।

उपराष्ट्रपति ने सभी हितधारकों से 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में अपना रचनात्मक योगदान जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने सभी समुदायों से गरीबी उन्मूलन और साझा समृद्धि की ओर बढ़ने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया और इस बात पर जोर दिया कि विकास के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

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