करसोग में प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय शिविर: किसानों को दिए कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के टिप्स, महिलाओं की उपस्थिति रही सबसे ज्यादा

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करसोग। हिमाचल में जिला मंडी के तहत करसोग में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। यहां बुधवार को ग्राम पंचायत सांवीधार के अंतर्गत जस्सल में संपन्न हुए शिविर में किसानों को प्राकृतिक खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया। जिसमें महिलाओं की उपस्थिति अधिक रही। किसानों सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की तकनीक में उपयोग होने वाले घटक जीवामृत घन जीवामृत बीजामृत दशपर्णी अर्क व खट्टी लस्सी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। यही नहीं किसानों को कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए उक्त घटकों को तैयार करने की विधि भी बताई गई।

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इस दो दिवसीय शिविर में खंड तकनीकी प्रबंधक बंटी कुमार, सहायक तकनीकी प्रबंधक सौरभ व मास्टर ट्रेनर भीम सिंह ने किसानों को बताया गया जहर युक्त रसायनिक खेती को छोड़कर किसान किस तरह कम लागत में प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपनाकर अधिक मुनाफा ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि फसलों में जीवामृत, घनजीवामृत व बीजामृत आदि के छिड़काव से कृषि पैदावार पर आने वाली लागत काफी घटी हैं। जिससे अब किसानों के लिए खेती अब मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। ऐसे में कृषि विभाग ने अधिक से अधिक संख्या में किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती से जुड़ने की अपील की है। ताकि किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकें और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जीवन स्तर और बेहतर हो सके। इस शिविर पंचायत के अंतर्गत पड़ने वाले विभिन्न गांव की 40 के करीब महिलाओं ने भाग लिया।

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