नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानि तप का आचरण करने वाली बताया गया है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमंडल है। नारद जी के आदेशानुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। अंत में उनकी तपस्या सफल हुई। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है।
तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान आरती और मंत्रों का जाप करने से माता भक्तों के सभी बिगड़े काम बना देती हैं। इसके साथ ही देवी मां की कृपा दृष्टि भी सदैव भक्त पर बनी रहती है।